आज १५ अगस्त २०१५ के उदय पर
एक भिकारी सरकार ने
बूढ़े हो चुके सिपाही को तिरस्कार से मारा है॥
Composed by an officer.... who quit prematurely due to personal reasons.
A Shaurya Chakra awardee.
आज बूढ़े हो चुके सिपाही को तुमने हिकारत से दुत्कारा है
उसकी बूढी हड्डियों को तुमने
तिरस्कार से मारा है॥
याद करो जब भारत माँ पर संकट गहरा छाया था
जवाँ मर्द था यही सिपाही
जो इससे बचाने आया था॥
तुम सो रहे थे चैन से
ओढ़े चादर रेशम की
तब यही सिपाही बर्फ में लड़ा
तुम्हारी नींद नहीं कम की॥
तुम्हारी आज़ादी के हक़ को कभी नहीं गैरों को दिया
तुमने उसके इस एहसान का
बदला यूँ डंडो से दिया ॥
लूट खसोट तिजोरी भरते बाबू लोग मुस्काते हैं
पागल हैं दीवाने फौजी
जान लुटाए जाते हैं ॥
सर्वोच्च चीफ को गवर्नर बनने की
गाजर जो दिखाई जाती है
ठुल्लों के हाथो में जब तब
लाठी थमाई जाती है ॥
इस देश का दुर्भाग्य कि इसकी
सेना को मारा जाता है
सेना की आँखों के सामने
गैर मुल्क का झंडा फेहराया जाता है ॥
संसद में सैंकड़ो करोड़ बिना काम उड़ाए जाते हैं
गैर मुल्कों को झूठी शान में अरबो दिलाये जातें हैं ॥
खुद के सैनिक भूखे रहे
पर हक़ वो मांग नहीं सकते
ये कैसी आज़ादी है यारों
जहां बाबुओं की ग़ुलामी से भाग नहीं सकते ॥
आज सपने में ऊपर वाले से जवाब जरूर लाऊंगा
बाबूजी तुम ऐश करो
कल मैं तो आज़ादी नहीं मनाऊंगा ॥
आज जंतर मन्तर पर उस बूढ़े सिपाही ने मार नहीं खाई
आज मार खायी है इस संसद की आत्मा ने,
इस देश की इज़्ज़त ने ॥
तुम अपने ही रक्षक को मार बैठे हो
जिस डाली की छाँव में रहते थे,
उसी को काट बैठे हो ॥
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