SOURCE ::https://tnapost.com/nation/orop-an-excursive-interview-with-retired-group-captain-vk-gandhi10012016/
ओआरओपी पर जारी है गतिरोध, नही थमा प्रदर्शन का सिलसिला
मौजूदा सरकार द्वारा वन रैंक वन पेंशन पर बात बनती नज़र नही आ रही है. सेना के जवानों का अब भी जंतर मंतर पर प्रदर्शन जारी है. उन्हें लगता है कि मोदी सरकार अपने वादों से मुकर रही है. सेना के कुछ पूर्व अधिकारियों को लग रहा है कि उन्हें बरगलाया जा रहा है. पिछले 210 दिन से अपने हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए सेना के बुजुर्ग अधिकारी सड़कों पर उतर आए हैं.
सरकार कहती आई है कि इस योजना में 80 प्रतिशत चीजों को मूर्त रूप दिया जा चुका है. इन जवानों की दलील है कि यदि सरकार ने 80 प्रतिशत मांगे मान ली हैं तो महज़ सबसे जरूरी 20 प्रतिशत को मानने में आनाकानी क्यों हो रही है.
इसी मुद्दे को गहराई से जानने के लिए TNAPOST की टीम जंतर मंतर पहुंची. टीम ने आंदोलन का संचालन कर रहे वायुसेना के रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन वीके गांधी से खास बात-चीत की.
TNAPOST– वीके गांधी जी, सबसे पहले अपने कार्यकाल और उपलब्धियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दें.
वीके गांधी– मैंने एयरफोर्स में 30 साल तक ग्रुप कैप्टन के रैंक पर नौकरी किया है. मैं देश के उत्कृष्ट जहाज़ों के तकनीकी विभाग का प्रमुख भी रहा हूँ. मेरी सेवाओं को देखते हुए सरकार ने 2 बार उत्कृष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया है. मैंने अपनी नौकरी ख़त्म होने के 8 साल पहले स्वेच्छा से रिटायरमेंट ले लिया था.
वीके गांधी– मैंने एयरफोर्स में 30 साल तक ग्रुप कैप्टन के रैंक पर नौकरी किया है. मैं देश के उत्कृष्ट जहाज़ों के तकनीकी विभाग का प्रमुख भी रहा हूँ. मेरी सेवाओं को देखते हुए सरकार ने 2 बार उत्कृष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया है. मैंने अपनी नौकरी ख़त्म होने के 8 साल पहले स्वेच्छा से रिटायरमेंट ले लिया था.
TNAPOST- आखिर किस आधार पर अब भी प्रदर्शन जारी हैं.
वीके गांधी- सेना के अंदर लोग सीनियर-जूनियर का बहुत ही ध्यान देते हैं. सीनियर के एक आदेश पर जूनियर सिपाही अपनी जान की कुर्बानी दे देता है. 1973 से पहले सेना के सिपाहियों को 70% पेंशन मिलती थी तो वहीँ अधिकारियों को 50 फ़ीसदी का प्रावधान था. हमने 1971 में जंग लड़ी और अपने दुश्मन (पाकिस्तान) के 2 टुकड़े कर दिए. दुनिया के इतिहास में ऐसा करने वाली भारतीय फ़ौज़ ही थी. इस कार्य के बाद सरकार को चाहिए था कि वह सेना को आधुनिक हथियार और अन्य चीजें मुहैय्या कराए लेकिन सरकार ने पेंशन में भी कटौती कर दी. सरकार ने 1973 से लेकर अब तक सेना का मनोबल गिराने का काम किया है. 1984 में कांग्रेस हुकूमत ने थोड़ी उम्मीद जगाई लेकिन सब एक छलावा था. बात पैसे और सुविधा बढ़ाने की नही है बात परिभाषा की है. सरकार ने सिर्फ बरगलाया है, वह हम लोगों को अँधेरे में रख रही है.
वीके गांधी- सेना के अंदर लोग सीनियर-जूनियर का बहुत ही ध्यान देते हैं. सीनियर के एक आदेश पर जूनियर सिपाही अपनी जान की कुर्बानी दे देता है. 1973 से पहले सेना के सिपाहियों को 70% पेंशन मिलती थी तो वहीँ अधिकारियों को 50 फ़ीसदी का प्रावधान था. हमने 1971 में जंग लड़ी और अपने दुश्मन (पाकिस्तान) के 2 टुकड़े कर दिए. दुनिया के इतिहास में ऐसा करने वाली भारतीय फ़ौज़ ही थी. इस कार्य के बाद सरकार को चाहिए था कि वह सेना को आधुनिक हथियार और अन्य चीजें मुहैय्या कराए लेकिन सरकार ने पेंशन में भी कटौती कर दी. सरकार ने 1973 से लेकर अब तक सेना का मनोबल गिराने का काम किया है. 1984 में कांग्रेस हुकूमत ने थोड़ी उम्मीद जगाई लेकिन सब एक छलावा था. बात पैसे और सुविधा बढ़ाने की नही है बात परिभाषा की है. सरकार ने सिर्फ बरगलाया है, वह हम लोगों को अँधेरे में रख रही है.
TNAPOST- इस योजना को लागू न कर पाने के पीछे हो सकता है सरकार की कुछ मजबूरी रही हों.
वीके गाँधी – सरकार हमेशा बजट का रोना रोती आई है. सरकार की कोई मजबूरी नही है. अधिकारी खासकर आईएएस वर्ग नही चाहता कि सेना को अधिकार और हक़ मिले. वह हर बार कुछ न कुछ बहाना बनाकर मामले को टालता रहता है. बजट की कोई कमी नही है. रक्षा मंत्रालय ने करीब 8000 करोड़ रूपया सरकार से माँगा था. सरकार ने इतना पैसा दिया भी फिर सरकार को समस्या क्या है. सरकार शहीदों की शहादत पर भी ध्यान नही देती. उनके परिवार वालों को हक़ नही मिल पाता.
वीके गाँधी – सरकार हमेशा बजट का रोना रोती आई है. सरकार की कोई मजबूरी नही है. अधिकारी खासकर आईएएस वर्ग नही चाहता कि सेना को अधिकार और हक़ मिले. वह हर बार कुछ न कुछ बहाना बनाकर मामले को टालता रहता है. बजट की कोई कमी नही है. रक्षा मंत्रालय ने करीब 8000 करोड़ रूपया सरकार से माँगा था. सरकार ने इतना पैसा दिया भी फिर सरकार को समस्या क्या है. सरकार शहीदों की शहादत पर भी ध्यान नही देती. उनके परिवार वालों को हक़ नही मिल पाता.
TNAPOST- आखिर इसी सरकार के समय इतने व्यापक स्तर पर प्रदर्शन क्यों? कांग्रेस सरकार में क्यों नही?
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