Dear Sir/madam,
Press release from united front of ESM on rally held today is as under. Col Anil kaul, VrC
PRESS RELEASE MAHASANGRAM RALLY: 14 JUN 2015
One Rank One Pension (OROP) implies that uniform pension be paid to the Armed Forces personnel retiring in the same rank with the same length of service irrespective of their date of retirement and any future enhancement in the rates of pension to be automatically passed on to the past pensioners.
This implies bridging the gap between the rate of pension of the current pensioners and the past pensioners, and also future enhancements in the rate of pension to be automatically passed on to the past pensioners”
The Hon’ble Prime Minister’s voice still echoes in our minds when he roared in the ex-servicemen rally on 15 Sep 13 in Rewari and demanded a white paper on OROP from the UPA Government. He did not stop there, but declared that had there been BJP Government in 2004 OROP would have been reality by now.
ESM pan India believed in him for the reasons that they had found a leader who had the will to approve the long standing demand of OROP. ESM all over India not only voted for Mr Modi (PM candidate) but as they also were the opinion makers in rural India where a majority of the defence personal reside.
Consequently BJP received an unprecedented mandate. ESM like any other Indian’s were elated on his becoming the Prime Minister of India. They were now assured that OROP will soon be announced. Their expectation further got confirmation on his repeated announcement among front line troops that OROP is destined to be approved by him and that he cared and respected the Armed Forces of India and wanted to make them one of the best in the world.
ESM got assurance from Sh. Manohar Parrikar when he told ESM delegations that other para-military forces cannot lay their claim on OROP as their retirement age is 60 yrs as compared to the majority of Armed Forced Personnel who start retiring at 35-37 yrs. The RM elucidated that if a Sepoy “A” would retire in x year, a constable of a any other force would retire in x + 24.
Further Shri Manohar Parrikar confirmed to ESM that he has finalized and renamed pensions for military personnel as MILPEN to ensure that it is treated as separate category and other paramilitary personnel will be excluded from this. He worked out the pension of Military personnel and ESM and calculated a figure of Rs 8296, crores per year in Feb 2015. This case is still under consideration of the Govt; in fact the file is stuck at Finance Ministry since Mar 2015. The ESM got a greater shock when he announced on 31 May 15 that even though he was committed to OROP but it is a very complex issue and needs more time to solve it.
The fact is that incorrect information is being given by the people who are against the interest of Indian Armed Forces. It is felt that there are lobbies working against Armed Forces Personnel both serving and retired. Any welfare scheme is strongly opposed and rejected.
How is it be possible that PM of the country makes a commitment and the bureaucracy rejects it on one pretext or other?
The Ex-servicemen of India are jointly requesting the Hon’ble PM to accord approval to the proposal forwarded by the Raksha Mantri for the implementation of OROP at the earliest without any dilution. We assure him that the OROP definition is very simple and has no complication at all. The ESM also request the Hon’ble President to kindly impress open his Govt to expedite implementation of One Rank One Pension (OROP) as per the definition without any dilution at the earliest. Your decision affects the Vir Nari’s, Other Ranks, JCO’s & finally the Officers and their families in that order of priority . Specifically 6 Lakhs & 26 Lakhs respectively
May we also request the Nation as represented by the highest democratically elected representatives to kindly treat Armed Forces Personnel and Ex-servicemen at par with other citizen of India?
As at present, it is felt that we are
getting a step motherly treatment from
our own GOI. In view of the above, we
have held this rally across the country
and will undertake an indefinite hunger
strike till OROP is implemented.
Released by
All India United Front of Ex-Servicemen New Delhi 14 Jun 2015
@Col Anil Kaul, VrC Media Advisor AIUFESM
Hindi version
प्रेस रिलीज महासंग्राम रैली 14 जून 2015 एक रैंक एक पेंशन से तात्पर्य है सशत्र बलों के कर्मियों को समान सेवा अवधि के लिए समान पेंशन का भुगतान करना, चाहे वे किसी भी वर्ष सेवानिवृत हों. अलग-अलग समय पर रिटायर हुए एक ही रैंक के दो फौजियों की पेंशन की राशि में फ़िलहाल बड़ा अंतर है. यह अंतर इतना अधिक हो गया है कि पहले से रिटायर अफसरों की पेंशन बाद में रिटायर हुए छोटे अफसरों से भी कम हो गई है. एक रैंक एक पेंशन (ओरोप योजना) के अंतर्गत, पेंशन की दरों में भविष्य में भी वृद्धि होने पर सेवानिवृत कर्मियों को समान पेंशन का लाभ मिलता रहे. हरियाणा के रेवाड़ी में 15 सितम्बर 2013 को पूर्व सैनिकों की रैली में श्री नरेंद्र मोदी का गरजना और तत्कालीन यूपीए सरकार से इस मुद्दे पर श्वेत पत्र की मांग करना अभी भी हमारे कानों में गूंज रहा है. उन्होंने यह भी कहा था कि 2004 में अगर उनकी पार्टी बीजेपी की सरकार सत्ता में आई होती तो एक रैंक एक पेंशन योजना कब की लागू हो गई होती. तब, एक्स-सर्विसमेन मूवमेंट (ईएसएम) के पूरे भारतवर्ष में फैले सहयोगियों को लगा था कि सशत्र बलों के सेवानिवृत कर्मियों की इस लंबित मांग को स्वीकृत करने के लिए एक ऐसा नेता आया है जिसमें मजबूत इच्छाशक्ति थी. अतः ईएसएम ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार श्री मोदी पर भरोसा किया और इसके सदस्यों एवं उनके परिवार ने श्री मोदी और उनकी पार्टी के पक्ष में मतदान किया. इसी वजह से काफी संख्या में ग्रामीण भारत ने भी बीजेपी को एक अभूतपूर्व जनादेश दिया. अंततः किसी भी अन्य भारतीय की तरह ईएसएम के सदस्य भी श्री मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने पर उत्तेजित थे. उन्हें यह विश्वास था कि ओरोप योजना तुरंत एक वास्तविकता होगी. आशा और विश्वास तब निश्चितता बन गई जब प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सीमा पर तैनात जवानों को संबोधित करते हुए दोहराया कि वे ओरोप योजना लागू करने वाले हैं और उनकी सरकार सैनिकों की पूरी कद्र करती है व भारतीय सेना दुनिया की सबसे बेहतरीन सेना बनेगी. रक्षामंत्री श्री मनोहर पार्रिकर ने भी ईएसएम के प्रतिनिधियों को बारंबार भरोसा दिलाया कि सरकार ओरोप लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि अर्द्ध-सैनिक बलों की परिस्थिति सैन्य-कर्मियों से भिन्न है इसलिए कोई विवाद कर प्रश्न नहीं उठता कि अर्द्ध-सैनिक भी ओरोप जैसे सुविधा की मांग करेंगे. श्री पार्रिकर ने यहाँ तक कहा कि यह भी गणना कर ली गई है कि ओरोप लागू करने के लिए रु. 8296 करोड़ का आवंटन होगा जिससे सम्बंधित फाइल वित्त मंत्रालय में मार्च 2015 से अटकी है. कुछ दिन पहले श्री पार्रिकर ने फिर कहा कि हालांकि उनकी सरकार ओरोप लागू करेगी लेकिन इसके लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं दी जा सकती. इन परिस्थितियों में यह लगने लगा है कि सैन्य बलों के साथ साजिश रची जा रही है, सरकार को झूठी सूचनाएं दी जा रही हैं और ओरोप के खिलाफ कोई लॉबी काम कर रही है. यह कैसे हो सकता है कि रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और फिर प्रधानमंत्री एक ठोस घोषणा करें और नौकरशाही उस पर सुस्ती दिखाए? अतः देश के एक्स-सर्विसमेन एक साथ माननीय प्रधानमंत्री से आग्रह करते हैं कि वे रक्षा मंत्री द्वारा प्रस्तावित ओरोप योजना को पारित करें और इस सन्दर्भ में तत्काल घोषणा करें. हम आश्वस्त हैं कि ओरोप में कोई जटिलता नहीं है. इसे आसानी से समझा जाना चाहिए. ईएसएम महामहिम राष्ट्रपति महोदय से भी आग्रह करती है कि सरकार को यथोचित दिशा-निर्देश जारी किया जाए ताकि ओरोप को तत्काल प्रभाव से लागू किया जा सके. इससे लगभग 30 लाख लोगों और उनके परिवार के सदस्यों को लाभ होगा. ईएसएम यह भी मांग करती है कि सैन्य कर्मियों और सेना से सेवानिवृत लोगों को भी भारत के नागरिक का दर्जा मिले. फ़िलहाल तो यह लग रहा है कि इनके साथ सौतेला व्यव्हार हो रहा है. इन मांगों के समर्थन में 14 जून से देशभर में व्यापक आंदोलन शुरू किया जा रहा है. इस महासंग्राम रैली के दौरान 14 जून 2015 को दिल्ली में जंतर मंतर पर एक्स-सर्विसमेन सामूहिक भूख हड़ताल करेंगे. इसके उपरान्त राज्यों की राजधानियों और जिला मुख्यालयों में 15 जून से भूख हड़ताल की जायेगी, जिसकी रूपरेखा 6 जून को दिल्ली में आयोजित कॉन्क्लेव में तैयार की गई थी.
जारी किया गया: ऑल इंडिया यूनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स-सर्विसमेन नई दिल्ली 14 जून, 2015
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